सोचो वे बड़े सुभागे होंगे! कितनी रातों को जागे होंगे! परस्पर्श नहीं जिनके जीवन, क्या गीत प्रेम के गाते होंगे? कुहक कुहक कोमल केकी, जब राग मीत के गाती होगी। सावन की सुघन बदरी जब धूप, छांव कर जाती होगी। मन ही मन अकुलाते होंगे, उत्सवों से भय खाते होंगे। सूने अंक लाचार पड़े, पाथर ही बन जाते होंगे! गरज प्रेम की उन्हें अधिक, जो प्रेम-प्रेम चिल्लाते हैं। गरज दैव की उन्हें अधिक, जो हरि-हरि गुण गाते हैं। परस्पर्श नहीं फिर भी वो, गीत प्रेम के गाते होंगे। निश्चय ही डूबते प्राणों के, बन तारणहार हर्षाते होंगे।
Discussion about this post
No posts
Woww..bahut badhiya. Parsparsh nhi samjh aarha tha mujhe 😅 google pe meaning translated to 'mutual'.
Phir samjh aaya. This was really very beautiful 🤌✨
अत्याधिक सुंदर 👌