मन बल हो शिथिल लगे मार्ग जटिल कभी नीरस कोई लम्हा हो मन चीख उठे 'तुम तन्हा हो!' ये चीख कभी रुकने न दो पलकें अपनी झुकने न दो हो अंधियारा कितना भी घना तुम चिंगारी बुझने न दो शिल्प तुम्हीं औजार तुम्हीं हो ढाल स्वयं तलवार तुम्हीं हो तुम रुद्र, तुम्हीं हो चिदानंद नाव, लहर, पतवार तुम्हीं हो धरणी का प्रेम अगाध खिला नभ का आंचल निर्बाध मिला एकाकी का भान स्वपन जब कर्मक्षेत्र ब्रह्माण्ड मिला देव तुम्हें अवसर देंगे तुम देखो तो, हर क्षण देंगे कर मन अविचल, प्रयत्न कुशल विजय पताका लहरा दो अधरों पर तूफान धरे आज विश्व को बतला दो सच है मनुष्य संघर्षों में जीवन रचना के वर्षों में थोड़ा तटस्थ हो जाता है लेकिन सशक्त हो आता है मृत्यु पर जीत भले दुष्कर विषयों का नाश तो संभव है काम, क्रोध और मद आलस का कुछ विनाश तो संभव है विपदाओं का व्यूह भेद अब रणधीर बनो तुम ईश्वर आतुर खुश होने को यदि कर्मवीर बनो तुम
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There's a song( rap ) - krishn ki chetawani . This one instantly reminded me that . ✨🙇🏻 Great one sir !
Nicely written Tushar. Padh k josh aa gaya, gym ja raha hoon ;)