धूप या बेमौसम बारिश थी शायद
या फिर ऐसे ही आंचल में
जा छिपा था वो...
हल्के रेशमी धागों का वो अंबर
सैकड़ों चांद दिखते थे जहां से
खिलखिलाता
मखमली थपकियों के बीच
सो गया था।
छोटी गुलाबी हथेली के कपाट
में अपनी तर्जनी को क़ैद छोड़े
समूचा संसार ही दे रखा हो जैसे
मुस्कुराती मां, एकटक निहारती
जागती रही ।