ढलती शाम मेरी रेलगाड़ी किसी छोटे शहर से गुजरी सब घर जा रहे थे लोग बाजारों से, बच्चे ट्यूशन से, चिड़ियां एक गीत गाते अपने घोंसले की ओर चल पड़ी थीं। मैं सयाना कुछ तलाशते घर से दूर, बहुत दूर आ गया था। इस बड़े शहर में, दिन खत्म होता है अब मेरे लिए शामें नहीं ढलती हां! सूरज जरूर डूबता है. और डूबने लगता है, एक बच्चे का मन जो गांव की धूल में खेल कर थका हरा हर इक ढलती शाम घर लौट आता था।
Thank you
for the suggestion.